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आज मेरी चार अलग- अलग लोगों से बात हुई , हालांकि वे मेरे परिचित थे और सभी ने हमारी बातों के दौरान एक बात  पूछी ....... आजकल आप ब्लॉग नहीं लिख रहे हो क्या ??


सच बताऊँ तो मैं कोई अच्छा जवाब नहीं दे पाया ......... 


अब आप सोच रहे होंगे कि ये बात भी कोई बताने वाली थी क्या ?? दरअसल जब हम किसी लिंक से टूटते हैं तो उसे दोबारा जोड़ने के लिए पहले से भी ज्यादा ऊर्जा के साथ शुरुआत करनी होती है .........  कुछ आदतें छूटनी शुरू हुई थी कि अचानक आज ये लोग मिले जिन्होंने फिर से प्रेरित किया। 

तो ये तो था कहानी का स्टार्टिंग फेज़ 


मतलब सीधा सा है अगर कुछ अच्छी आदतें विकसित हुई हैं तो उन्हें बनाए रखा जाना चाहिए , भले ही वे अभी महत्वपूर्ण न लग रहीं हो ..... भविष्य के लिए वे संपत्ति हैं। 

चलिए अब बात करतें हैं ......... 

अभी हाल ही में देश - दुनिया में  कुछ अजीब सी घटनाएं घटी और आप सभी उनसे परिचित होंगे , आईये कुछ शेयर करते हैं :- 

  • हाल में ऑक्सफैम  की रिपोर्ट प्रकाशित हुई , जिसमें बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान अरबपतियों की संपत्ति में 35% का इजाफा हुआ जबकि 84% लोगों की आय में कमी आयी, और दूसरा ;
  • मैंने कल मार्क्सवादी सिद्धांत के बारे में पढ़ा। 
दरअसल मार्क्स पूंजीवाद के बड़े आलोचक थे , उनका मानना था कि पूँजीवाद की विचारधारा के तहत गरीब वर्ग का शोषण किया जाता है , गरीब बहुत कम तनख्वा पर अमीरों के लिए काम करते हैं और अमीर उनका शोषण।
वे मानते थे कि कम आय के कारण गरीब सोचता है कि यदि हमारी संख्या ज्यादा हुई तो हम भी ज्यादा आय अर्जित कर पाएंगे इसी कारण जनसंख्या में वृद्धि होती है।  जो श्रम विस्फोट का कार्य करती है  अर्थात काम करने वाले लोगो की संख्या का ज्यादा  होना। इससे उन्हें वेतन कम  मिलता है , और पुनः वे गरीबी में ही आ जाते हैं ........ और फिर से  जनसंख्या में वृद्धि  होती है ........ क्रमशः 

अब एक अच्छी  प्रसिद्ध पुस्तक की  पंक्ति  है "रिच डैड पुअर डैड" , में लिखा है कि "अमीर लोग सम्पत्ति खरीदते हैं , गरीब दायित्व (लायबिलिटी ) खरीदता है और मध्यम वर्ग  सोचता है कि उसने सम्पत्ति खरीदी है , मगर वो खरीदता दायित्व ही है। "
   
यहां दो बातें कही गयी हैं , मुझे नहीं पता कि इसका निष्कर्ष क्या दूँ ...... सम्पूर्ण लेख को पढ़ने के बाद कृपया आप निष्कर्ष स्वयं निकालें। 

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