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कोविड का दूसरा काल भी धीरे -धीरे समाप्त हो चला है , यदि आप जीवित हैं तो आप स्वयं को एक सर्वाइवर मान सकते हैं , जो विपरीत परीस्थितियों में भी स्वयं को जीवित रख पाया है।
ज्यादा ख़ुशी मनाने या इस दौरान विकसित की गयी आदतों को भूल जाने की जरूरत नहीं है .......वक्त की मांग और भविष्य में अपने अस्तित्व को बनाएं रखने के लिए अब जरूरी हो गया है कि हम माहौल के अनुकूल ढलें।
हर आपदा के दौरान और कुछ समय बाद तक , जनता अलर्ट रहती है , राजनीतिक जुमलेबाज़ी ,कुछ नई घोषणाओं -वादों और नए नियमों का दौर चलता है ....... और फिर से वही ........
दिक्कत क्या है ??
- हम जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं , स्थायित्व की कमी है ,सरकारें तुष्टिकरण का रास्ता अपनाती हैं और हम किसी नई सड़क के लिए सोशल मीडिया पर लाइक्स ठोक रहे होते हैं।
- अधिकांश जनता स्वयं में ही गुमराह है , वे अस्थायी हल से ही सुख प्राप्त करने को आतुर हैं , यह बिलकुल वैसा ही है आज का डाटा भरपूर यूज़ कर लेतें हैं , कल तो पुनः मिलेगा ही।
- मध्यस्थता जैसा कोई कदम नहीं ..... सड़क बनानी है तो सीधा पेड़ पर आरी चलवाई जाएगी ,अन्य रास्ते नहीं खोजे जायेंगे।
- लालच की कोई सीमा नहीं ...... सरकारें हो या आम जन , बड़ी चतुराई से अपना कोटा पूरा करते हैं , इन मामलों में समाजवाद की धारणा को अच्छे से किनारे रखा जाता है।
- शेयरिंग का कोई मैटर नहीं है यहां....... जनभागीदारी , पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप जैसे उपायों के लिए कोई प्लानिंग नहीं है यहां ........सरकारी नौकर अपना पेट देखते हैं और प्राइवेट लोग अपनी स्लिम-ट्रिम पर्सनालिटी।
- ह्यूमन कैपिटल की कंडीशन खराब .......पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षा को हुआ , राजस्व तो अर्जित किया जा सकता है , मगर आगे जो देश चलाने जा रहे हैं वे किताबों की खुश्बू भूल गए।
- पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी...... आज का सबसे ज्वलंत मुद्दा , परिवेश ही ख़राब हो तो कैसे काम चलेगा।
क्या करें ??
- सरकार अथवा संस्था के किसी भी काम से यूँ ही सन्तुष्ट न हों जाएं , स्थायी सोल्यूशन्स की ओर बढ़ें।
- डाटा फूंकने में कम व्यस्त रहें , यकीन मानें स्क्रीन के बाहर भी दुनिया है।
- माहौल के अनुकूल होने का प्रयास करें ,व्यर्थ का कट्टरपन न पालें ,ध्यान रखें सीधे तने पेड़ तूफ़ान में टूट जाते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण के हर संभव प्रयासों को अपनाएं ,याद रखें आपने हाल ही में ऑक्सीजन की कमी के परिणामों को देखा है ,वृक्ष लगाने के गुणों को विकसित करें।
- पढ़ाई को निरंतर जारी रखें ,माहौल ख़राब जरूर है ,मगर किताबों की खुश्बू अब भी वैसी ही है।
- हमेशा एक दूसरे का सहयोग करें , परेशानियों का जरूर डटकर सामना करें , किन्तु बेवजह उन्हें गले न लगाएं।
वक्त नाजुक है ,क्षति अपार हुई है , आप हौंसला रखें और जितना हो सके पर्यावरण को बचाने का करें ,पर्यावरण सुरक्षित है तो हम सब सुरक्षित हैं।
👌👌👌👌
ReplyDeleteBhut khub...🙏🙏🙏👍
ReplyDeleteVery nice👍👍👍👍👍👍
ReplyDeleteamazing ideas. this should be appreciated !!
ReplyDeletevery nice this is more effective vijay bhai
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