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Showing posts from June, 2021

HoPe2

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  कोविड का दूसरा काल भी धीरे -धीरे समाप्त हो चला है , यदि आप जीवित हैं तो आप स्वयं को एक सर्वाइवर मान सकते हैं , जो विपरीत परीस्थितियों में भी स्वयं को जीवित रख पाया है।  ज्यादा ख़ुशी मनाने या इस दौरान विकसित की गयी आदतों को भूल जाने की जरूरत नहीं है .......वक्त की मांग और भविष्य में अपने अस्तित्व को बनाएं रखने के लिए अब जरूरी हो गया है कि हम माहौल के अनुकूल ढलें।  हर आपदा के दौरान और कुछ समय बाद तक , जनता अलर्ट रहती है , राजनीतिक जुमलेबाज़ी ,कुछ नई घोषणाओं -वादों  और नए नियमों का दौर चलता है ....... और फिर से वही ........  दिक्कत क्या है ?? हम जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं , स्थायित्व की कमी है ,सरकारें तुष्टिकरण का रास्ता अपनाती हैं और हम किसी नई सड़क के लिए सोशल मीडिया पर लाइक्स ठोक रहे होते हैं।  अधिकांश जनता स्वयं में  ही गुमराह है , वे अस्थायी हल से ही सुख प्राप्त करने को आतुर हैं , यह बिलकुल वैसा ही है आज का डाटा भरपूर यूज़ कर लेतें हैं , कल तो पुनः  मिलेगा ही।  मध्यस्थता जैसा कोई कदम नहीं ..... सड़क बनानी है तो सीधा पेड़ पर आरी चलवाई जाएगी ,अन्य रास्ते नहीं खोजे जायेंगे।  लालच की क

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  फाइनली वैक्सीन लग गयी ........ अब लगता है अच्छे से चढ़ी है।  दूसरी लहर वाकई जोरदार रही , पक्ष-विपक्ष , राजा-प्रजा सभी त्राहिमाम रहे। पहली का ठीकरा तो पडोसी पर जमकर फोड़ा गया ........ये यक्ष प्रश्न की भाँति सामने खड़ा है कि इस बार किसको लपेटें ........??   वाकई कारण बहुत से हैं और सभी दमदार हैं , यहां कुछ लोगों ने जमकर सारी सीमाएं लाँघी , इंजेक्शन हो , ऑक्सीजन हो या आपात वाहन , लालच और भ्रष्टाचार की सीमा से परे जाकर "कुविधाएँ " दी गयी।  यहां विचार आया कि क्या ऐसे माहौल पर लगाम लगाने के लिए राजतंत्र होना चाहिए ........?? दरअसल आज जब मैं प्रख्यात दार्शनिक मैक्यावली को पढ़ रहा था , तो उन्होंने अपने विचारों में "भ्रष्ट , लालची लोगों के लिए राजतंत्र की शासन प्रणाली" को उपयुक्त बताया , जहां लोगों पर "कुछ भी करने" की आज़ादी तो नहीं होती .........!!  कमियां क्या रहीं ?? मुखौटे को समझने में हम नाकाम रहे ....... दरअसल इस बार कोरोना मॉडिफाई होकर आया , आगे  भी अन्य रूपों में आने की पूरी संभावना है।  हमने थोड़ा ठीक माहौल देखकर   जश्न शुरू कर दिया ......अपने को स