sahar ka kona.......

शहर का कोना

आज का दिन बहुत ही अचरज भरा रहा  शहर के अन्य स्थानों व मध्य भाग मे जहां स्थितियाँ अच्छी हैं वहीं एक इलाका ऐसा भी है जहाँ की स्तिथि  दयनीय है  स्थान का नाम   "कंजरपराव" 
यानि  " कंजरो की बस्ती"

दरअसल जगह को अलग रखें तो वहाँ  एक अचरज जो था वो वहां का प्राइमरी विधालय  जहाँ भवन के नाम पर कुछ भी नहीं था   खुले आकाश के नीचे लगी एक कुर्सी और सामने बैठे चार पांच बच्चे !!!!! 
जनवरी का महीना कोहरे की ठंडी लहरें जो शरीर पर चाकू की तरह चुभी जा रही थीं इस हालत में भी  बच्चो का जोश और पड़ने की ललक जो मानो सभी परिस्थितियों को ठेंगा दिखा रही थीं। 
इन बच्चो का कोई पारिवारिक आधार नहीं है खली समय मे ये बच्चे भीख मांगते हैं और आस पास ही झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं। 

सरकार व अन्य संस्थाए शायद ही इनकी ओर ध्यान देती हों। 

अगर हम सभी अपने आस पास के ऐसे बच्चो को पढ़ाई में जरा सा भी सहयोग कर सकें  तो ये बच्चे बहुत हद्द तक अपना और अपने लोगो का विकास कर उन्हें मुख्य धारा में ला सकते हैं।  

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