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Showing posts from July, 2020

pados......

अक्सर यह माना जाता रहा है कि हमारे विकास में हमारे करीबियों की एक बड़ी भूमिका होती है। ये हमारे पारिवारिक लोग ,मित्र ,सहपाठी कुछ भी हो सकते हैं ........मगर इन सबके साथ जो सबसे महत्वपूर्ण  हैं वो रहे हमारे........पड़ोसी !!            ये हमें बनाने में बड़ी सहायता करते हैं  और हमें गिराने में भी । खैर पड़ोसियों का होना लाजिमी है वो भी भारत जैसे देश में जहां इतनी ज्यादा जनसंख्या हो .......यहां पड़ोसियों का मतलब सिर्फ घर के आस -पास रहने वालो से नहीं  होता ........  बल्कि वो पड़ोसी ही क्या जिसे ये न पता हो कि हमारे घर आज रात क्या सब्जी बनने वाली है ?? अगले हफ्ते हमारे घर में कौन मेहमान आने वाला है ?? भले ही हम बाद में जानें।  अपने देश में लोगों का इतना घुलना -मिलना वाकई अच्छा है।                                          मगर अब जरा वर्ल्ड सिनेरिओ   को समझना भी तो बनता है न ?? हालांकि दुनिया भर में भी ऐसा ही होता है मगर वहां की बॉन्डिंग यहां के मुकाबले कम है। इसलिए वे लोग अपने विकास की दौड़ में पड़ोसी नामक  शब्द   से कम प्रभावित होते हैं।                    अब पड़ोसियों की बात आ ही गयी है तो हम अप

busy.........!!

व्यस्तता (बिजी ) ये शब्द भी बहुत मायने रखता है कि इसका जोर  किस ओर है। हालांकि ऐसा माना जाता रहा है कि व्यस्त इंसान किसी बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर है। मगर हो कुछ भी ये  परिणाम ही तय करते हैं कि फिर काम बहुत ज्यादा व्यस्त रह कर किये गये हों या व्यस्त के  साथ मस्त रहकर।                 ये क्या ?? ऊपर की बातें कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गयी और शायद जटिल भी।   व्यस्तता का कल्चर अपने यहां भी है जिसके इफ़ेक्ट कुछ ज्यादा ही अलग हैं। मगर उससे पहले कुछ इम्पोर्टेन्ट बातें कर लेते हैं।                     हमेशा से मेरे मन में ये विचार आता था कि अपना देश ,अपनी सभ्यता और अपनी शिक्षा महान है तो फिर दुनिया भर की महान साइंटिफिक रिसर्च और इनोवेशन से हमारा नाता क्यों नहीं जुड़ पाया?? ........  इस दौरान हम कहाँ बिजी थे ??    जब खोज की तो पाया कि सब इनोवेशन और मॉडर्न टेक्नोलॉजी उन्ही लोगो के नाम रहीं जो वाकई में इस ओर व्यस्त और मस्त रहे  ........इसे थोड़ा तर्क के साथ बताया जाये तो इसके पीछे क्लाइमेट भी एक फैक्टर रहा ,   यूरोप और अमेरिका के भाग जहां क्लाइमेट मेडिटेरेनियन रहीं (जीवन के लिए सबसे बेस्ट क्लाइमेट

Idhar Udhar Se...........

आज गांव की पुलिया पर एक चोरी की चर्चा हो रही थी ......… जब चोर का पता चला....... तो नाम आया..........  "भीमा का" ..... !! भीमा अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था .......हाल ही में नवीं का दुर्गति पत्र लेकर जब वो घर आया तो घर में पड़ी डांट से परेशान था .......अब उसको  दो रास्ते नजर आ रहे थे  पहला ...…  कि दोबारा मेहनत कर दुर्गति पत्र को अगले साल प्रगति पत्र में बदल लिया जाये जो कमोबेश एक कठिन काम नजर आ रहा था।  दूसरा........ कि चोरी करने पर दोस्तों से मिली शाबाशी का आगे गुणात्मक योग करके वाहवाही बटोरना।          भीमा अब बदलना चाहता था वो लाइफ में कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी करने का मन बना चुका था अपने फ्रेंड-जोन से प्रभावित होकर उसने हर वो खतरे मोल लिए  जो हॉलीवुड का एथन  हंट (टॉम क्रूज़ )भी लेने से शर्मा जाए। ख़ैर भीमा ने आस -पास अच्छी खासी पकड़ बनाई और बन गया डॉन इलाके का .......और फिर वही भारतीय परंपरा के अनुसार  जहां डॉन वहीं सबके फ़ोन .......वहीं से सिस्टम ऑफ और वहीं से ऑन।  ये सिलसिला चलता गया और नेता से अभिनेता सब उसकी गड्डी में मौजूद तास के पत्ते जिसकी जरूरत पड़ी उससे निकाला और

purani charcha.........

तो अपनी पुरानी चर्चा को ही आगे बढ़ाते हैं ........ भारत  बनाम इंडिया   हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल याचिका में एक याचिकाकर्ता ने आवाहन किया था कि देश को इंडिया  नाम  से सम्बोधित करना गुलामी की भावना को बताता है।  जो कहीं न कहीं देश की संप्रभुता में बाधा है।   तो उपरोक्त विवरण तो था......…  चर्चा का कारण ....!!   अब बढ़ते हैं कभी न खतम होने वाली अपनी शुद्ध इंडियन या भारतीय परंपरा पर ........ यार अब यहां पर भी टकराहट उत्पन्न हो गईा  आखिर बोलना क्या हुआ ?? वैसे यह कोई नया मुद्दा नहीं है मगर कभी कभी ऐसा लगता भी है कि आखिर इतना कंट्राडिक्शन क्यों ?? तो साहब ये है तो उन गोरे लोगो की ही देन........               अपना देश महान परम्परा का साक्षी रहा है यह राम राज्य को भी बताता है जहां मर्यादा की पराकाष्ठा रही और एक सभ्य समाज का विकास भी , वहीं  यह युद्ध की चरम अवस्था,  महाभारत का भी परिचायक रहा है जिसने बताया कि धर्म की  स्थापना के लिए अधर्म के सामने कैसे लड़ा जाता हैा             यह भाईचारे की भूमि रहा है जहां कभी रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजीा इन सब मामलों में कभी कोई डिस्प्यूट