atmanirbhar
आत्मनिर्भरता को लेकर देश में चर्चाएँ जोरों पर हैं ,आज हर कोई आत्मनिर्भरता से संबन्धित बहसों में जोर-शोर से भाग ले रहा है।
एकल व्यक्ति के लिए आत्मनिर्भरता की अवधारणा थोड़ी अलग हो सकती है जो उसे अन्य समाज से अलग रखने की अपील के रूप में भी हो सकती है , मगर एक देश के परिप्रेक्ष्य में यह अब भी बहुत व्यापक कांसेप्ट ही है।
मेरे मन में विचार इस बात से आया कि दुनिया के बहुत से देश जो आर्थिक गतिविधियों और विकास के मामले में आत्मनिर्भर हैं , उनमे से बहुत तो भारतीय राज्यों से भी छोटे हैं ....... तो आखिर ऐसा कैसे ??
उत्तर ढूढ़ने की कोशिश में कुछ अच्छे और सरल विचार आये , जिन्हें यदि अपना लिया जाये तो बहुत हद तक आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है.........
- भारत के पास महान विरासत के रूप में योग , औषधि और आयुर्वेद का भण्डार है ..... दुनिया इसके बारे में अभी बहुत कम जानती है .... इसको वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की जरूरत है।
- हमारे लोग स्थानीय उत्पादों को केवल स्थानीय बाज़ारों तक ही सीमित रखते हैं ,(मुंबई और अहमदाबाद के लोगो ने शायद ही उत्तराखंडी कांफल और खुमानी का स्वाद चखा होगा , वहीं लिट्टी-चोखा को पहाड़ी लोग क्या जानें ) , मुद्दा ये है कि इन उत्पादों की पहुंच को देश के कोने -कोने तक पहुंचाकर भी अच्छा उद्यम विकसित किया जा सकता है।
- फ़ूड प्रोसेसिंग और पैकेज फ़ूड आज तेजी से बदलते समाज की मांग बन रहे हैं , ( स्थानीय किसान 50 के टमाटर बेचने के बजाए ......250 का टोमेटो कैचअप बेचकर अपने लिए बड़ी आय के साधन बना सकते हैं .....यकीन मानिए इसमें बहुत ही मामूली कौशल और मेहनत लगेगी। )
- पर्यटन भारत की आय का बहुत बड़ा हिस्सेदार है , मगर विश्व के अन्य देशों की तुलना में यह बहुत कम है , पहाड़ी भाग अभी भी पर्यटन के कई पहलुओं से अनछुए हैं ..... कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में होम स्टे जैसी नई पहलें की गयी हैं जिसमे पर्यटक को अपने घर पर ही ग्रामीण वातावरण के बीच रखा जाता है जो उन्हें भारतीय ग्रामीण जीवन को समझने में सहायक होता है ..... ऐसा ही अन्य पहाड़ी इलाकों में भी किया जा सकता है। (इससे ग्रामीण लोग न केवल आय अर्जित करेंगे बल्कि विभिन्न प्रकार से ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे , इसका सबसे बड़ा लाभ महिलाओं को होगा। )
- स्थानीय कला को भी बड़े लेवल तक पहुंचाकर , अपनी कला और आय को बढ़ाया जा सकता है , चाहे वह विख्यात बिहार की मधुबनी हो , या धीरे से आगे बढ़ रही उत्तराखंड की ऐपढ़ हो ये अभी अपनी वैश्विक पहचान बना सकते हैं।
अंत में यही कि आत्मनिर्भरता के लिए शुरुआत छोटे स्तर से ही करनी होगी और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना ही होगा , अगर ये नहीं कर पाए तो इसके भरोसे बैठना कि दुनिया की कोई बड़ी कंपनी देश में आएगी और यहां इन्वेस्ट करेगी , हम जॉब करेंगे और महीने की तनख्वा का इन्तजार करेंगे , पैसा मिलेगा और अंततः आत्मनिर्भर होंगे ..... बड़ी बेवकूफी होगी।
Great writing skill 👌👌
ReplyDeleteShaandar bhai jii...
ReplyDeleteaap sabhi ka bhaut dhanywaad....
ReplyDeleteBhal che masab 🙏....
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