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Showing posts from 2022

Bachat

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  आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे पर जो आपको वाकई एक अच्छे भविष्य की ओर अग्रसर कर सकता है , वह भी कुछ सरल उपायों के साथ........ यदि आप एक बेहतर और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो आपको इन तीन तथ्यों को समझना अत्यंत आवश्यक है - पहला , आप बुढ़ापे की चिंता करना छोड़िए, क्या होगा ? कैसे होगा ? आदि। दूसरा , आप शादी और बच्चों के भविष्य की चिंता छोड़िए। तीसरा , बेवजह धन जमा करने के चक्कर में मत रहिए। यद्यपि ये सभी के लिए हितकारी है , किंतु ब्लॉग पर युवा ज्यादा ध्यान केंद्रित करें तो ज्यादा अच्छा.........    यदि आप वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में अच्छे से घुल चुके हैं तो आप ऊपर की मेरी बातों से बिलकुल असहमत होंगे और शायद आगे ब्लॉग पढ़ने के इच्छुक न हों, जी हां आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं , यदि आपने ऐसा ही सोचा है तो इसे खास तौर पर आप ही के लिए बड़े ध्यानपूर्वक लिखा गया है। अब बात करते हैं, जैसा कि टाइटल है बचत। आपने भविष्य का कुछ सोचा ही है तो सबसे पहले जो विचार आया होगा वह है- अच्छी सुरक्षापूर्ण जिंदगी आने वाले खर्चे  जिम्मेदारियां आखिर मुद्दा है क्या ?? आज हर कोई एक अच्छी नौकरी और पेशे की ओर बढ़ रहा

School Chle Hum

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एक्चुअली टॉपिक मेरे लिए है , हाल ही में मैंने स्कूल ज्वाइन किया, यादें लौट आईं ........बच्चे ,टीचर, प्रेयर, लंच और हां," पढ़ाई भी "। माहौल तो वैसा ही था जगह और जज्बात बदल गए, अब पढ़ाना होता है यार। सबके बारे में चर्चा होगी और कुछ पहले हुईं भी हैं यहां बात करते हैं " आखिर बच्चों और पढ़ाई के बीच रिश्ता कैसा है आजकल " बुक्स तुम दूर रहो प्लीज  !!                             जी हां, ये रिश्ता अब रेयरली दिखाई देता है, कि बच्चा बुक ओपन करके खुद से पन्नो को पलटे। अब तो पूरा साल खत्म होने के बाद भी " किताब के अंदर की खुशबू नहीं निकलती",  स्टेशनरी वाले अब बुक्स के बजाए लूडो ज्यादा रखने लगे हैं। छूना मना है !!                         तो मास्टर का डंडा अब न जाने कहां गायब है ? पॉलिसी है बच्चों को प्यार से समझाने की, छुआ तो फिर मास्टर की खैर नहीं। अपने दिनों से तुलना करें तो ये सरासर अत्याचार है , डंडे के कांसेप्ट को खत्म करने की वैसे जरुरत नहीं थी , बच्चे स्टिक बोल कर वैसे ही ' डंडे के भार' को कम कर दे रहें हैं।   हाई स्कूल बोर्ड               यहां  तो अब

MeroPahada

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  वैलेंटाइन आने वाला है , मेरी वैलेन्टिन भी  पहाड़ की वादियों में कहीं बैठे आग ताप रही होगी .........खैर ये तो थी कुछ काल्पनिक बातें , आइये कुछ वास्तविक बातों में चलते हैं........                दरअसल  बात कुछ ऐसी है कि पहाड़ में मौसम भले ही  सर्दियों का हो मगर माहौल पूरा गर्म है , अंदर रजाई है और बाहर हरदा और हरक दा के बीच लड़ाई है......... राजनितिक पार्टियां पूरे जोश में जीत का जश्न मनाने की तैयारी कर रहीं हैं तो वहीं युवा व्हाट्सप्प स्टेटस में किसे जगह देते हैं ये बड़ा सोचनीय मुद्दा बना हुआ है।  आखिर चल क्या रहा है ??    दरअसल ऊपर -ऊपर से हर कोई राजनीति में इंटरेस्ट ले रहा है , मुद्दों पर बात भी करनी होती है ये कोई नहीं सोचता और न ही सोचने को इच्छुक है।  नेता इस समय पूरा एफर्ट लगा रहा है , वह पांच दिन  गली -गली घूम रहा है , पैदल चल रहा  है , ताकि आने  वाले पांच सालों तक गाड़ी में घूम सके। शिक्षा के दरों पर ताला लगा लगा हुआ है , बच्चे  12000   के सपने संजोए बैठें हैं।   ऑनलाइन पढ़ाई में वैसा कुछ भी नहीं है , आधे से ज्यादा बच्चे वो हैं जो खुद ही ऑनलाइन के लिए इंटरेस्टेड नहीं हैं