MeroPahada

 वैलेंटाइन आने वाला है , मेरी वैलेन्टिन भी  पहाड़ की वादियों में कहीं बैठे आग ताप रही होगी .........खैर ये तो थी कुछ काल्पनिक बातें , आइये कुछ वास्तविक बातों में चलते हैं........ 

              दरअसल बात कुछ ऐसी है कि पहाड़ में मौसम भले ही  सर्दियों का हो मगर माहौल पूरा गर्म है , अंदर रजाई है और बाहर हरदा और हरक दा के बीच लड़ाई है......... राजनितिक पार्टियां पूरे जोश में जीत का जश्न मनाने की तैयारी कर रहीं हैं तो वहीं युवा व्हाट्सप्प स्टेटस में किसे जगह देते हैं ये बड़ा सोचनीय मुद्दा बना हुआ है। 

आखिर चल क्या रहा है ??  

  • दरअसल ऊपर -ऊपर से हर कोई राजनीति में इंटरेस्ट ले रहा है , मुद्दों पर बात भी करनी होती है ये कोई नहीं सोचता और न ही सोचने को इच्छुक है। 
  • नेता इस समय पूरा एफर्ट लगा रहा है , वह पांच दिन  गली -गली घूम रहा है , पैदल चल रहा  है , ताकि आने  वाले पांच सालों तक गाड़ी में घूम सके।
  • शिक्षा के दरों पर ताला लगा लगा हुआ है , बच्चे  12000  के सपने संजोए बैठें हैं।  
  • ऑनलाइन पढ़ाई में वैसा कुछ भी नहीं है , आधे से ज्यादा बच्चे वो हैं जो खुद ही ऑनलाइन के लिए इंटरेस्टेड नहीं हैं उनका मानना है कि ऑनलाइन स्टडी से गेम्स खेलने के लिए नेट(डाटा) बचता ही नहीं है...... इसलिए एक दो घंटे की कचकचाट के चक्कर में खेल की कुर्बानी देना कोई धर्म नहीं है।
  • 12वी और उससे नीचे की कक्षाओं के प्रति सरकार वैसे भी ज्यादा नहीं सोच पाती , क्यों कि वे उनके अधिकार क्षेत्र(वोट बैंक) से बाहर हैं।
  • बात अगर उच्च शिक्षा की करें तो सरकार का मानना है कि वे स्वयं में ही समझदार होते हैं , उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वे वोट के समय निकलने वाली सरकारी वेकेंसियो के फार्म बड़- चढ़ कर भरें।
  • 75% पहाड़ी युवा  दिल्ली और गाजियाबाद के बीच  जीवन निर्वाह कार्यों में लगे हुए हैं उनका इधर वेलेंटाइन मनाने आ पाना (14 फरवरी,विधानसभा चुनाव) खासा मुश्किल है।
  • महिलाओं की बात करे तो, शहरी महिलाएं बेवजह स्वयं को मॉर्डन प्रूव करने की कोशिश करती हैं और ग्रामीण महिलाओं की ओर जाएं तो वे अधिकतर समय पानी सारने और घास लड़की के इंतजाम में लगी रहती हैं चुनाव के मुद्दों के प्रति वे बिल्कुल स्टेट फॉरवर्ड एप्रोच रखती हैं उनका कहना होता है  कि जिसको सब वोट देंगे हम भी उन्हें ही देंगे ......बस बात यहीं खत्म हो जाती है।
  • पहाड़ी पुरुष ,पुरुष ही है वो दिन में किसी पार्टी के साथ होगा और शाम ढलते ढलते अन्य पार्टी के साथ।
करना क्या चाहिए ??

देखिए ये वाकई कठिन सवाल है , सरकार की लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट पॉलिसी या अन्य कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा यहां काम नहीं करेगा , ये एक राज्य का चुनाव होने जा रहा है , मुद्दा यही है कि जब आप अपने घर से ईस्ट की ओर लुक करते हैं तो वहां न पानी है और न ही अच्छी सड़क, न शिक्षा और न ही अच्छे अस्पताल।
ये पॉइंट्स न किसी सरकार के लिए आलोचना हैं और न ही आलोचना से कम भी । 
निर्णय आपका होगा, कि कौन आपके ऊपर अगले पांच साल राज करता है।

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