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Showing posts from September, 2020

angrezidan

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 हाल ही में एक बहस जो काफी चर्चित रही और हमेशा से ही सोचनीय  विषय रही है, वह है - हिंदी भाषा का प्रयोग।  भारत जैसे देश में जहां संस्कृत भाषा के साथ-साथ अनेकों भाषाओं का उदय हुआ , वहां संस्कृत की अनुवर्ती भाषा हिंदी का हाल बेहाल नजर आ रहा है। कुछ जगहों  पर तो हिंदी के  लिए डूबते को तिनके का सहारा जैसे हालात हैं। प्राचीन काल से आधुनिक तक की यात्रा का अवलोकन करते हैं तो पाएंगे कि भारत पर अनेकों विदेशी साम्राज्यों का शासन रहा , हमने सभी की भाषा ,कला ,संस्कृति को अपनाया और उचित स्थान दिया, किन्तु अंग्रेजी सत्ता ने यहां राजनीति ,शिक्षा नीति , प्रशासनिक नीति जैसी प्रमुख नीतियों से अंग्रेजी को थोपना जारी रखा , एक लम्बे अंग्रेज शासन का प्रभाव यह रहा कि भारत का एक वर्ग अंग्रेजी के प्रभाव में अच्छे से आ गया , जिसे उच्च मध्यम वर्ग गया , बाद में तो फिर वही कि अंग्रेज चले गए और अंग्रेजी छोड़ गए।                 इस ऐतिहासिक घटना का प्रभाव यह रहा कि आज भी लोग हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी को महत्व देते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बेबाक अंग्रेजी बोले , स्कूल ऐसा हो जहां भले ही सिखाएं  कुछ न

DarkFake

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इंटरनेट आजकल हमारी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है , और समय की जरूरत के हिसाब से होना भी चाहिए  यह उतना ही जरूरी हो चुका है जितना सब्जी में नमक ........बिना इसके लाइफ में अधुरापन सा लगता है। पिछले कुछ दिनों के दौरान मैंने जितने भी मित्रों से बात की तो उन सभी में एक बात जो मैंने कॉमन पायी कि ये कहीं न कहीं एक ही ढर्रे पर चले जा रहे हैं ........  मतलब सीधा सा है , जोश से लबालब ये मित्र भले ही आज करवटें बदलती राजनीति में बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे  हैं मगर इसका फोबिया घातक हो सकता है, और आज इस फोबिया को फेक न्यूज़ अधिक धारदार बना रहा है।  यहां एक बात को लिया जा सकता है  कि इस लेख को कितने युवा पढ़ सकते हैं या वाकई पढ़ना चाहेंगे , बजाए इसके कि वे 5 मिनट इसे पढ़ने के फेक न्यूज़ को 5 अन्य लोगों को भेजने में ज्यादा सुखी अनुभव करेंगे।  यह  सब  इंटरनेट का  कमाल नहीं  है बल्कि  इसे  यूज़ करने के लिए  ज्ञान की कमी है  जिसे  यहां  डिजिटल अज्ञानता कहा जाना  चाहिए।  डिजिटल अज्ञानता को एक अन्य तरीके से समझते हैं  ......... कुछ समय पहले फेसबुक पर एक ट्रेंड प्रचलित हुआ कि आप अपनी वर्तमान फोटो यहां

AtmaNirbharta

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         अभी कुछ दिनों पहले ही  साक्षरता  रिपोर्ट प्रकाशित हुई और हर बार की तरह उसमे केरल पहले स्थान पर , दिल्ली दूसरे और उत्तराखंड  तीसरे स्थान पर रहा। (मित्रों ये वाकई ख़ुशी की बात है। )                           अन्य राज्यों का क्रम भी सुधरा  है किन्तु अभी भी अनेक राज्यों में हालत  बेकार ही हैं।  एक अन्य  घटना आजकल छायी हुई है  रिया चक्रवर्ती और कंगना रनौत को लेकर , इन मामलों ने देश के सभी अन्य मुद्दों को किनारे  कर  इन दिनों का सर्वश्रेष्ठ  प्रदर्शन किया है (न्यूज़ वालो की तो इनके कारण  टी आर पी  जबरदस्त रूप से बड़ी है ) तीसरी और अंतिम  जबरदस्त  घटना है  देश में  पबजी  का बैन होना।                    उपरोक्त तीनो घटनाएं वाकई चर्चा का कारण हैं और लम्बे समय तक चलने वाली भी हैं अब नीचे की दो खबरों पर  वक़्त जाया करना सही नहीं होगा हमें कहीं और ध्यान देना होगा   .......मगर इन्ही के बीच से एक घटना बाहर को झांकते हुए ये रिक्वेस्ट कर रही है कि कोई मेरी ओर भी ध्यान दें  ......... घटना है  आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की।    इस कदम को सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक माना जा सकता है क्यों कि

Exam Ka Rona

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 पिछले दिनों के दौरान कुछ मित्रों से बात हुई तो लगभग सभी इस बात से चिंतित थे कि ये कॉलेज वाले भी न जाने कैसे हैं ......माहौल कोरोनामय हुआ है और ये एक्साम्स करवा रहे हैं। मित्रों की इसी इच्छा के अनुसार आज का लेख :- दरअसल मुद्दा तो चिंतनीय है कि कोरोना का कहर थमने का नाम तक नहीं ले रहा है , वो थमे भी कैसे ??        अक्सर लोग संचरणशील होते हैं और उनका एक ही जगह पर थम जाना वाकई गलत ही है। यही फार्मूला कोरोना ने भी अपना लिया है , अब इससे निजात पाने के दो ही तरीके हो सकते हैं :- वैक्सीन का इन्तजार करा जाये और तब तक हाथ बांधे रहो , सुरक्षा के साथ काम करते रहो।  मित्रों की चिंता :- सबसे पहली कि केवल फाइनल ईयर में होने के कारण ही उनको पेपर देने पड़ रहे हैं , माहौल का डर  इस दौरान पढ़ाई  ठीक ढंग से नहीं हो पायी , न तो कॉलेज वालो ने इस ओर कुछ ध्यान दिया  कुछ कॉलेज में ओपन बुक एग्जाम हुए , हमें भी ऐसी ही कुछ सुविधा मिले   प्रैक्टिकल , मौखिक आदि में कॉलेज नंबर अपनी मनमर्जी से ही देंगे , तो फिर आधी-अधूरी परीक्षा कैसी ?? क्या मित्रों की चिंता सही है ??:- इसमें कोई दोराय नहीं  कि चिंता नहीं है , लेक