AtmaNirbharta

         अभी कुछ दिनों पहले ही साक्षरता  रिपोर्ट प्रकाशित हुई और हर बार की तरह उसमे केरल पहले स्थान पर ,दिल्ली दूसरे और उत्तराखंड  तीसरे स्थान पर रहा। (मित्रों ये वाकई ख़ुशी की बात है। ) 

                         अन्य राज्यों का क्रम भी सुधरा  है किन्तु अभी भी अनेक राज्यों में हालत  बेकार ही हैं। 

एक अन्य  घटना आजकल छायी हुई है  रिया चक्रवर्ती और कंगना रनौत को लेकर , इन मामलों ने देश के सभी अन्य मुद्दों को किनारे  कर  इन दिनों का सर्वश्रेष्ठ  प्रदर्शन किया है (न्यूज़ वालो की तो इनके कारण  टी आर पी  जबरदस्त रूप से बड़ी है )

तीसरी और अंतिम  जबरदस्त  घटना है  देश में  पबजी  का बैन होना। 

                 उपरोक्त तीनो घटनाएं वाकई चर्चा का कारण हैं और लम्बे समय तक चलने वाली भी हैं अब नीचे की दो खबरों पर  वक़्त जाया करना सही नहीं होगा हमें कहीं और ध्यान देना होगा   .......मगर इन्ही के बीच से एक घटना बाहर को झांकते हुए ये रिक्वेस्ट कर रही है कि कोई मेरी ओर भी ध्यान दें  ......... घटना है आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की। 

 

इस कदम को सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक माना जा सकता है क्यों कि यह सही समय पर लिया गया फैसला है (हालांकि इसे पहले ही ले लिया जाना चाहिए था मगर अब भी अच्छा मौका है। )

क्या है आत्मनिर्भरता ??

शब्द पर ध्यान जाये तो यह "एकला चलो रे" को अपनाने की बात कर रहा है , मगर फिर वही बात "अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता " , इसलिए  अन्य की कम से कम मदद से काम किया जाये और रिश्तों को भी  बनाया रखा जाये। 

ऐसा क्यों ??

क्योंकि परस्पर जुडी दुनिया और संसाधनों की निरंतर पूर्ति के लिए रिश्ते अच्छे हों , साथ ही एक अच्छा सहयोगी आपको ताकत भी देता है। 

आत्मनिर्भरता के लिए क्या करें ??

  • अभी अवसर अच्छा है और युवा आबादी भी बहुत है , इस समय शिक्षा और तकनीक पर अधिक से अधिक खर्च कर युवाओं को कौशल दिया जा सकता है। 
  • देश में ही उत्पादन करने की सोच अच्छी है ,इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों की आय भी बढ़ेगी , मगर उत्पादन करने के  लिए जमीन,पैसा होने के साथ ही सरकारी माथापच्ची कम होनी चाहिए। इसके लिए कागजी कारवाही कम की जानी चाहिए ,जिससे आसानी से उत्पादन इकाई लगाई जा सके। 
  • उपरोक्त शिक्षित राज्यों की भांति अन्य राज्यों को भी शिक्षा के  लिए प्रेरित करना चाहिए। 
  • गेम्स खेलने में मशगुल युवाओं को इस जाल से बाहर निकल कर मार्केट और तंत्र को समझने में , नई चीजे विकसित करने में वक़्त लगाना चाहिए , इसके लिए सरकार भी प्रेरित करे। 
  • मेडिकल ,टूरिज्म और आईटी जैसे क्षेत्र तेजी से उभर रहें हैं ऐसे में यहां रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोसेस को बढ़ाया जा सकता है। 

दुनिया भर के सभी आत्मनिर्भर या विकसित देश इसलिए आर्थिक तौर पर मजबूत बन पाए क्योंकि उन्होंने अपने वर्कफोर्स पर अधिक-से-अधिक खर्च किया , उनको तकनीक से जोड़े रखा (यहां चीन,जापान और दक्षिण कोरिया से सीखा जा सकता है , 1980 के दशक तक चीन भी लगभग भारत जैसी स्थिति में ही था। )

युवा क्या करें ??

                                               सारा दारोमदार युवाओं के ऊपर ही है , अगर हम अपनी शिक्षा को परम्परागत तरीके से ही लेते हैं तो आने वाले 50-100 सालों में भी हम केवल नौकरी के लिए आवेदन ही करते रहने वाले हैं , सोच को आगे बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए , क्यों हम नौकरी देने वालों में नहीं हैं ? क्यों हम रिज्यूमे ही तैयार करते रहते हैं ?? क्यों हम जुगाड़ की नौकरी में खुश रहना चाहते हैं ??(जुगाड़ करना है तो कुछ ऐसा किया जाये जैसा इसरो ने किया ,एक मिशाल पेश करते हुए उसने पीएसएलवी से ही मंगल तक की यात्रा कर डाली ,वो भी पहले ही प्रयास में ), युवाओं में बेशक बहुत जोश है तो उसे कहीं अच्छी जगह लगाते हैं :-
  •  कामों को स्वयं करने की आदत डालें ;
  • मेहनत का कोई विकल्प नहीं है , जी तोड़ मेहनत करें मगर उसकी दिशा सही ओर हो ;
  • पुरानी पढ़ाई भी करें मगर नए से लिंक करते हुए ;
  • लगभग हर एक्टिविटी में तकनीकी का प्रयोग भी करें ,ध्यान दें की साथ में कोई सोशल मीडिया न ओपन हो;
  • नई खोज को हमेशा बढ़ावा दें , दुसरो को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें ;
  • छोटे पैमाने पर उद्योग शुरू करने का प्रयास करें , बहुत सी सरकारी स्कीम इसमें आपकी मदद कर सकती हैं ;
  • उद्योगों में अन्य मित्रों को भी जोड़े , सहयोग के साथ काम करें ;
  • बाजार के उतार चढ़ाव पर ध्यान देतें रहें ;
  • शार्ट टर्म कोर्सेज करते रहे जो आपको लगातार आगे बढ़ाने में मददगार हों (ध्यान दें की कोर्सेज भी भारीतय हों तो बेहतर है। )

कोरोना काल ने हम सभी को आत्मनिर्भरता के मायने समझा दिए हैं और ये भी बताया है कि केवल कड़ी मेहनत से ही काम नहीं चलेगा (यहां लॉकडाउन को लिया जा सकता है ) , इसके लिए हमे समय के साथ स्मार्ट भी बनना ही होगा। स्मार्ट इस रूप में कि हम खुद से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आगे आएं ,वस्तुओं का उत्पादन अपने देश में ही करें और जहां तक संभव हो देशी वस्तुओं को ही अपनाएं। हालांकि आज सब मिक्स हो गया है मगर फिर भी यहां बनी चीजों को खरीदने से आप घर का पैसा घर में ही रख सकते हैं और उन लाखों लोगो को दोबारा रोजगार प्रदान करने में मदद कर सकते हैं जो इस काल में बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। 


तो मित्रों बेवजह राजनितिक पेंच में फंसने , फ़ालतू की न्यूज़ पर अपनी राय जाहिर करने और गेम्स के चक्कर में खुद का कीमती समय बर्बाद कर दूसरे देशो को पैसा ट्रांसफर करके हम अच्छा नहीं कर रहे हैं , वक़्त  है कि आप कुछ क्रिएटिव करें ,इकॉनमी में पैसा जोड़ने का प्रयास करें  और बिंदास जियें   .......!! 


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