Back to school

 

एक लम्बे समय के बाद पुनः लिख रहा हूँ , इस दौरान देश - दुनिया में अनेकों घटनाएं घटी , सबसे शक्तिशाली देश में सत्ता परिवर्तन हो गया , ठंड बढ़ गयी , कोरोना जाते -जाते  अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा और दिल्ली में आजकल माहौल खासा गर्म है। 

अब यदि इन सब सियासी उठापटक से थोड़ा अलग चला जाये तो ध्यान में रह जाता है -अपना देश और उसके भविष्य का निर्माण करने वाले बच्चे।
 
       एक लम्बे अरसे से बच्चे स्कूल से दूर रह चुके हैं , यहां तक कि लगभग एक वर्ष की पढ़ाई पूरी तरह से घर पर ही चल रही है। बीच में कुछ राज्यों में स्कूल चल पड़े थे , किन्तु कोरोना ने पीछे झांक के देखा और माहौल वैसा ही बना दिया। (हालांकि शादियों का सीजन है और इस समय स्कूल खोलने की बात करना बच्चो को जरा अजीब लगेगा। )

प्रारम्भ में ऑनलाइन पढ़ाई का भी जोर था और नियमित कक्षाएं भी चल रही थीं , कुछ प्राइवेट विद्यालय मजबूरन इस परंपरा को निभा रहे हैं , किन्तु सरकारी विद्यालयों का तो टांका ही कभी तकनीकी विद्या से नहीं जुड़ पाया। 

बच्चों में इस दौरान आया बदलाव :-

  • पढ़ाई  को लेकर बच्चे ज्यादा बेफिक्र हुए हैं , यह असर छोटी से बड़ी सभी कक्षा के बच्चों में हुआ है। 
  • तकनीक के उपयोग को लेकर बच्चा ज्यादा बड़ा प्लेटफॉर्म अपने आस -पास महसूस कर रहा है , अब उसके पास कहीं ज्यादा स्रोत हैं। 
  • पढ़ाई के'समय को लेकर बाध्यता कम हुई है , बच्चा अब अपना होमवर्क और क्लास वर्क आसानी से चेक करवा सकता है। 
परेशानियां क्या ??

  • बच्चा केवल तकनीक पर निर्भर बन रहा है ,आज 6 माह का बच्चा भी बिना यूट्यूब के खाना नहीं खाता। 
  • नेटवर्क प्रॉब्लम , डाटा स्पीड ,तथा अन्य तकनीकी मुद्दे बच्चे को अधिक तनावग्रस्त बना रहे हैं , जिससे उनके स्वाभाव में चिड़चिड़ापन आता है। 
  • स्कूल से मिलने वाले अतिरिक्त ज्ञान , समझ ,बातचीत का तरीका तथा अन्य को-करीकुलर एक्टिविटी से बच्चा दूर हो गया है , जो उसमें अधिक अकेलेपन की आदत विकसित कर रहा है। 
यहाँ ध्यान देने की बात है कि आज के समय में तनाव उत्पन्न करने के सबसे प्रभावी कारणों में इंटरनेट का अधिक उपयोग भी शामिल है। 

क्या किया जाए ??
 
  प्रभावी बात तो यह होगी कि अति विलम्ब की स्थिति बच्चों को स्कूली जीवन से अत्यधिक दूर करने में सहायक होंगी , ऐसे में जरुरी सावधानियों के साथ जल्द स्कूलों को खोला जाना अति आवश्यक है। 

अन्य उपाय :-
  • इंटरनेट की बजाय किताब से सिखाया जाये तो ज्यादा बेहतर होगा। 
  • सॉफ्ट कॉपी (पीडीएफ ) के बदले पेपर नोट्स ही उपलब्ध कराए जाएं , जो कुछ समय तक बच्चों को मोबाइल की पहुंच से दूर रख सकते हैं।  
  • निर्धारित ऑनलाइन कक्षा के अतिरिक्त , एक्टिविटी में भी बच्चो को लगाना होगा , जिससे तनाव की स्थिति काम हो सके।  
  • स्कूल अनुशासन  सिखाते हैं जो घर पर रहकर बिलकुल गायब है , अतः एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करना सिखाएं , ताकि बच्चे का समग्र विकास हो।  
अंत में यही कि यदि एक उज्जवल देश की कल्पना की जा रही है , तो देश को उज्जवल करने वाले नन्हें-नन्हें कच्चे दीयों को भी समय के साथ पकाना जरुरी है , नहीं तो कच्ची माटी के दीये एक दिन टूट जायेंगे। 






सुझाव :- मनोज जोशी (रामनगर )




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