Tectonic
कुछ दिनों पहले उत्तराखंड में एवलांच की भीषण घटना घटी , दरअसल उस दिन रविवार था और मैं हर बार की तरह ब्लॉग पर ही काम कर रहा था।
मैं उत्तराखंड के बारे में कम ही लिखता हूँ न जाने क्यों ??
मगर आज इस घटना पर लिखने जा रहा हूँ ...... जो वाकई चर्चा का विषय है।
एक औसत हिम शिला खंड का टूटकर गिरना और निचले भाग में भीषण तबाही , अनेकों लोगों की मौत और लगभग 160 लोग लापता ..... ये पूरी घटना चंद घंटो में ही हो गयी ......हालांकि यह घटना 2013 की तुलना में बहुत छोटी थी, मगर इसने आपदा के पूर्वानुमान , सूचना तंत्र और उससे बचने के हमारे तरीकों पर पुनः सवालिआ चिन्ह लगा दिए ......... !!
आपदा के संभावित कारण क्या ??
- पहला और सर्वप्रमुख कारण जो माना गया वो है वैश्विक तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वॉर्मिंग ), दरअसल औद्योगिकरण के समय से ही लगातार वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है ,जो उच्च अक्षांशो और निम्न अक्षांशों के ऊँचे भागों में लगातार बर्फ के गलने का कारण रही है ........यहां भी यही हुआ।
- चट्टानों पर ताज़ा बर्फवारी से भार में वृद्धि हो गयी ......... चट्टान इस भार को सहन नहीं कर सकी और बर्फ नीचे खिसकने लगी।
- उत्तराखंड की भौगोलिक स्तिथि ऐसे बिंदु पर है , जहां भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट यूरेशियाई टेक्टॉनिक प्लेट के नीचे सरकती है यह स्तिथि इसे भारत की पारिस्थिकी के लिहाज से सबसे अधिक नाजुक क्षेत्रों में से एक बनाती है।
आगे संकट की संभावना :-
- उत्तराखंड के इस भाग में लगभग 1400 ग्लेशियर हैं , ये देश के लिए जल के स्रोत हैं ,इन ग्लेशियरों के साथ कोई भी छेड़खानी आने वाले समय में बहुत बड़ी घटना का कारण बन सकती है।
- आने वाले समय में सबसे बड़ा खतरा इन इलाकों में बनाई जा रही जल विद्युत परियोजनाएं हैं .... जिनके निर्माण के समय भारी तोड़-फोड़ होती है और चट्टानें कमजोर होती हैं।
- इस क्षेत्र में करीब 14 बाँध हैं , टिहरी भी इसी का हिस्सा है , इस भाग से भूगर्भीय फॉल्ट जोन -(एक भूकम्पीय दरार) गुजरती है , जो आपदा के लिए एक कारण हो सकती है।
मानवीय कारण क्या ??
- पहाड़ी क्षेत्र में लगातार सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है.
- पर्यटन की लगातार वृद्धि ......... जिससे अनछुए भागों पर भी मानव पद्चिन्ह जा रहे हैं .....पर्यावरण पर इससे खतरा बड़ रहा है।
- IPCC ने दावा किया था कि बढ़ते तापमान के चलते संभव है कि 2035 तक हिमालय के ग्लेशियरों का नामोनिशान मिट सकता है।
- लगातार हो रहा अवैध खनन।
- नीति आयोग की रिपोर्ट'में कहा गया कि हिमालय से निकलने वाली 60% जल धाराओं में पानी की मात्रा कम हो रही है।
क्या किया जाये ??
- हिमालय क्षेत्र से हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट को हटाया जाना चाहिए , ध्यान रखा जाए कि यदि प्रोजेक्ट लगाए जाएं तो वे छोटे हों।
- पर्यटन की भी सीमा तय की जाये तो अच्छा होगा।
- माना कि ऑल वेदर रोड जैसे कांसेप्ट राज्य की आय का जरिया बनेंगे और दुनिया भर से पर्यटन आएगा मगर इसके मूल्य पर हम पर्यावरण के एक बड़े हिस्से से हाथ धो बैठेंगे। इसलिए पर्यावरण का खास ध्यान देना उचित होगा।
- जितनी मात्रा में पेड़ों को काटा जा रहा है ...... उससे दो गुना ज्यादा मात्रा में वृक्ष लगाए जाने होंगे , इसे केवल पर्यावरण दिवस के लिए ही सीमित न रखा जाये बल्कि हर उत्सव पर एक पेड़ भी लगाया जाये तो काफी मदद हो सकती है पर्यावरण की।
- हिमालयी भागों में औद्योगिक इकाईयों को न लगाया जाये ........ आर्थिक विकास के लिए हल्के सॉफ्टवेयर पार्क्स का बनाया जाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- पहाड़ों पर वर्ष के अधिकांश समय अच्छी धुप रहती है इसलिए यहां सोलर पॉवर को बढ़ावा दिया जा सकता है।
अंत में यही कि हमें आधुनिकता और विकास के चरम पर पहुंचने की कोशिश पहाड़ो में तो फिलहाल नहीं करनी चाहिए .......... पहाड़ों में कुछ तो पहाड़ों जैसा हो !!
very nice 👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDeleteBdiya masab....likhte rho India
ReplyDelete....👌👌👌👌
Very good ☺️😌
ReplyDeleteVery good ☺️😌
ReplyDeleteaap sabhi ka bhaut dhanywaad.....
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