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New Year

नए साल की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं पिछले चार- पांच दिनों में आप सभी ने स्वयं से वाकई लंबे- चौड़े वादे कर लिए होंगे, डायरी के कोरे पन्ने उमंग के साथ नए साल का स्वागत करने के लिए सजा दिए गए होंगे। यकीन मानिए ये उत्साह, हर वर्ष की तरह किए गए वादों की तरह ही बहुत जल्द नष्ट होने वाला है। हां!! सच बात है ऐसा होगा। सब छोड़िए, मेरी मानिए ढेर सारे झूठे वादे मत लिखिए किसी एक के साथ चलिए और बस चलते रहिए।  इस बार किसी एक वादे को अपना कर देखिए वर्ष के अंत में आपको वाकई स्वयं पर गर्व होगा। जो वर्ष बीत गया उसे जाने दीजिए भविष्य के बारे में भी ज्यादा ना सोचिए वर्तमान आपके पास है जरा ध्यान दीजिए,  "गिलास में रखी गर्म चाय, कहीं ठंडी ना हो जाए"।  चलिए थोड़ी भविष्यवाणी करते हैं जी हां क्या-क्या होने जा रहा है 2024 में - सबसे पहले दिवाली आ रही है, जी हां इस बार दिवाली जनवरी में। भव्य राम मंदिर का लोकार्पण दिवाली पर्व सा माहौल संपूर्ण देश में होने जा रहा है आप इसे पूरे उत्साह के साथ मनाइए। मोदी आ रहे हैं ? वर्तमान वाइब को देखें तो भई ये तो तीसरी बार गद्दी पर बैठेंगे। पढ़ाई जी हां बहुत जरूरी

Bachat 2

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 आज हम अपने पुराने विषय को ही आगे बढ़ाते हैं और बात करेंगे म्यूचुअल फंड अकाउंट की शुरुआत कैसे करें ?  किस जगह डीमैट अकाउंट खुलवाएं ? आदि। जैसा कि हमने पिछले ब्लॉग में बताया था कि म्यूचुअल फंड्स में आप दो तरीकों से पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं-  1- मासिक, तिमाही, के आधार पर किस्त स्वरूप , जिसे प्रायः एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कहा जाता है, इसके तहत एक निश्चित तारीख तय होती है और एक सिस्टम के अनुसार आपका पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश होता रहता है। 2- एकमुस्त , इसके तहत निवेश की राशि को एक बार में ही म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिया जाता है। 3- डिमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपके पास आज के समय में अनेक मोबाइल एप्लीकेशंस मौजूद हैं जैसे अपस्टॉक्स, जेरोधा, ग्रो, कैशरिच, कुवेर आदि, आप अपनी सुविधानुसार और एप्लीकेशंस की टर्म्स एंड कंडीशंस के अनुसार डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं। 4- डिमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपको अपने बैंक अकाउंट से संबंधित कुछ दस्तावेज अथवा जानकारी को संबंधित एप्लीकेशन के साथ साझा करना होता है और सेबी द्वारा अप्रूव होने के पश्चात आपका अकाउंट म्यूचुअल फंड्स के लिए तैयार हो जा

Bachat

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  आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे पर जो आपको वाकई एक अच्छे भविष्य की ओर अग्रसर कर सकता है , वह भी कुछ सरल उपायों के साथ........ यदि आप एक बेहतर और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो आपको इन तीन तथ्यों को समझना अत्यंत आवश्यक है - पहला , आप बुढ़ापे की चिंता करना छोड़िए, क्या होगा ? कैसे होगा ? आदि। दूसरा , आप शादी और बच्चों के भविष्य की चिंता छोड़िए। तीसरा , बेवजह धन जमा करने के चक्कर में मत रहिए। यद्यपि ये सभी के लिए हितकारी है , किंतु ब्लॉग पर युवा ज्यादा ध्यान केंद्रित करें तो ज्यादा अच्छा.........    यदि आप वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में अच्छे से घुल चुके हैं तो आप ऊपर की मेरी बातों से बिलकुल असहमत होंगे और शायद आगे ब्लॉग पढ़ने के इच्छुक न हों, जी हां आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं , यदि आपने ऐसा ही सोचा है तो इसे खास तौर पर आप ही के लिए बड़े ध्यानपूर्वक लिखा गया है। अब बात करते हैं, जैसा कि टाइटल है बचत। आपने भविष्य का कुछ सोचा ही है तो सबसे पहले जो विचार आया होगा वह है- अच्छी सुरक्षापूर्ण जिंदगी आने वाले खर्चे  जिम्मेदारियां आखिर मुद्दा है क्या ?? आज हर कोई एक अच्छी नौकरी और पेशे की ओर बढ़ रहा

School Chle Hum

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एक्चुअली टॉपिक मेरे लिए है , हाल ही में मैंने स्कूल ज्वाइन किया, यादें लौट आईं ........बच्चे ,टीचर, प्रेयर, लंच और हां," पढ़ाई भी "। माहौल तो वैसा ही था जगह और जज्बात बदल गए, अब पढ़ाना होता है यार। सबके बारे में चर्चा होगी और कुछ पहले हुईं भी हैं यहां बात करते हैं " आखिर बच्चों और पढ़ाई के बीच रिश्ता कैसा है आजकल " बुक्स तुम दूर रहो प्लीज  !!                             जी हां, ये रिश्ता अब रेयरली दिखाई देता है, कि बच्चा बुक ओपन करके खुद से पन्नो को पलटे। अब तो पूरा साल खत्म होने के बाद भी " किताब के अंदर की खुशबू नहीं निकलती",  स्टेशनरी वाले अब बुक्स के बजाए लूडो ज्यादा रखने लगे हैं। छूना मना है !!                         तो मास्टर का डंडा अब न जाने कहां गायब है ? पॉलिसी है बच्चों को प्यार से समझाने की, छुआ तो फिर मास्टर की खैर नहीं। अपने दिनों से तुलना करें तो ये सरासर अत्याचार है , डंडे के कांसेप्ट को खत्म करने की वैसे जरुरत नहीं थी , बच्चे स्टिक बोल कर वैसे ही ' डंडे के भार' को कम कर दे रहें हैं।   हाई स्कूल बोर्ड               यहां  तो अब

MeroPahada

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  वैलेंटाइन आने वाला है , मेरी वैलेन्टिन भी  पहाड़ की वादियों में कहीं बैठे आग ताप रही होगी .........खैर ये तो थी कुछ काल्पनिक बातें , आइये कुछ वास्तविक बातों में चलते हैं........                दरअसल  बात कुछ ऐसी है कि पहाड़ में मौसम भले ही  सर्दियों का हो मगर माहौल पूरा गर्म है , अंदर रजाई है और बाहर हरदा और हरक दा के बीच लड़ाई है......... राजनितिक पार्टियां पूरे जोश में जीत का जश्न मनाने की तैयारी कर रहीं हैं तो वहीं युवा व्हाट्सप्प स्टेटस में किसे जगह देते हैं ये बड़ा सोचनीय मुद्दा बना हुआ है।  आखिर चल क्या रहा है ??    दरअसल ऊपर -ऊपर से हर कोई राजनीति में इंटरेस्ट ले रहा है , मुद्दों पर बात भी करनी होती है ये कोई नहीं सोचता और न ही सोचने को इच्छुक है।  नेता इस समय पूरा एफर्ट लगा रहा है , वह पांच दिन  गली -गली घूम रहा है , पैदल चल रहा  है , ताकि आने  वाले पांच सालों तक गाड़ी में घूम सके। शिक्षा के दरों पर ताला लगा लगा हुआ है , बच्चे  12000   के सपने संजोए बैठें हैं।   ऑनलाइन पढ़ाई में वैसा कुछ भी नहीं है , आधे से ज्यादा बच्चे वो हैं जो खुद ही ऑनलाइन के लिए इंटरेस्टेड नहीं हैं

Some steps to grow you

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हम सभी की कुछ आदतें होती हैं, कुछ अच्छी और कुछ ज्यादा अच्छी नहीं। ये ऐसे व्यवहार हैं जो हमने सीखे हैं और जो लगभग अपने आप होते हैं। हम में से अधिकांश की कुछ आदतें होती है जिन्हें हम छोड़ना  चाहते हैं, या जिन्हें किसी कारणवश विकसित करना चाहते हैं। अधिकांश लोगों के लिए, एक नए व्यवहार को नियमित, या आदत बनने में लगभग चार सप्ताह लगते हैं। निम्नलिखित कदम एक नया व्यवहार पैटर्न स्थापित करनेे में सहायक हो सकतेें हैं :-  . पहला कदम है अपना लक्ष्य निर्धारित करना :-  विशेष रूप से जब आप किसी आदत को रोकने या तोड़ने की कोशिश कर रहे हों, तो आपको अपने लक्ष्य को सकारात्मक कथन के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। उदाहरण के लिए, "मैं रात में नाश्ता करना छोड़ दूंगा" कहने के बजाय, "मैं स्वस्थ खाने की आदतों का अभ्यास करूंगा" कहें। आपको अपना लक्ष्य भी लिखना चाहिए। इसे कागज पर कमिट करने से आपको कमिट करने में मदद मिलती है। चाहें तो  आप किसी ऐसे व्यक्ति को अपना लक्ष्य बता सकते  हैं जिस पर आप भरोसा करते हैं तो यह भी मदद कर सकता है।    एक प्रतिस्थापन व्यवहार पर निर्णय लें :-  (यदि आ

HoPe2

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  कोविड का दूसरा काल भी धीरे -धीरे समाप्त हो चला है , यदि आप जीवित हैं तो आप स्वयं को एक सर्वाइवर मान सकते हैं , जो विपरीत परीस्थितियों में भी स्वयं को जीवित रख पाया है।  ज्यादा ख़ुशी मनाने या इस दौरान विकसित की गयी आदतों को भूल जाने की जरूरत नहीं है .......वक्त की मांग और भविष्य में अपने अस्तित्व को बनाएं रखने के लिए अब जरूरी हो गया है कि हम माहौल के अनुकूल ढलें।  हर आपदा के दौरान और कुछ समय बाद तक , जनता अलर्ट रहती है , राजनीतिक जुमलेबाज़ी ,कुछ नई घोषणाओं -वादों  और नए नियमों का दौर चलता है ....... और फिर से वही ........  दिक्कत क्या है ?? हम जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं , स्थायित्व की कमी है ,सरकारें तुष्टिकरण का रास्ता अपनाती हैं और हम किसी नई सड़क के लिए सोशल मीडिया पर लाइक्स ठोक रहे होते हैं।  अधिकांश जनता स्वयं में  ही गुमराह है , वे अस्थायी हल से ही सुख प्राप्त करने को आतुर हैं , यह बिलकुल वैसा ही है आज का डाटा भरपूर यूज़ कर लेतें हैं , कल तो पुनः  मिलेगा ही।  मध्यस्थता जैसा कोई कदम नहीं ..... सड़क बनानी है तो सीधा पेड़ पर आरी चलवाई जाएगी ,अन्य रास्ते नहीं खोजे जायेंगे।  लालच की क