Rojgaar

                                                                                                                                                                                                                            लल्लन के चेहरे पर आज हर बार                                                                                                                       की  तरह निराशा थी , आज फिर इंटरनेट कैफ़े से बहार निकलते हुए वह तंत्र को मन ही मन कोस रहा था , यह निराशा थी पिछले डेढ़ साल पहले दिए प्रतियोगी परीक्षा के रिजल्ट न आने की। 

        यह कहानी है लल्लन जैसे उन लाखों ऐसे युवाओं की जो रोज सरकारी वेबसाइट पर अपने रिजल्ट्स को खंगालते हैं , लेकिन अधिकांश का परिणाम आता ही नहीं है , समझ नहीं आता  कि सरकार नौकरी के लिए परीक्षा करवाती है या किसी सर्वे की रिपोर्ट तैयार करने के लिए .........!!

 भारत विश्व में नित नए जनसंख्या वृद्धि संबंधी रिकॉर्ड  बनाता जा रहा है , बिना सस्टेनेबल डेवलपमेंट की चिंता किये। आज लगभग 140 करोड़ जनसंख्या को जमीन पर देखकर पंछी तक परेशान हैं कि ऊपर से अपना दाना कहां ढूढे ??

 हर साल 40 से 60 लाख लोग रोजगार पाने वालों की लाइन में जुड़ जाते हैं , और सरकार है कि अपना पल्ला झाड़ने के लिए केवल विज्ञप्ति जारी कर आवेदन ही मांगती है। 

परिणामों से इतर एक अन्य समस्या है रोजगार की अपार संभावनाओं के बावजूद देश में हमेशा रोजगार  की तंगी रही है , कारण है कि सरकारी नेता और नौकरशाह लोग लालफीताशाही में ही व्यस्त रहते  हैं , और रोजगार की तलाश में जुटे युवा इनकी गलत नीतियों के कारण अपने भविष्य की भेंट चढ़ा देने को मजबूर होते हैं। रोजगार  दिया भी जाता है तो वहां ज्यादातर "अंडर दी  टेबल" फार्मूला का ही प्रयोग होता है। 

सरकार  ने हाल में उठाए दो कदम :-

  • नई शिक्षा नीति 
  • प्रतियोगी परीक्षा के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी    
नई शिक्षा नीति  बचपन से ही बच्चे को आलराउंडर बनाने की ओर केंद्रित है तो वहीं नई परीक्षा प्रणाली सहुलियत के साथ अपनी प्रतिभा दिखा जल्दी रोजगार पाने में सहायक होगी। 

क्या चुनौतियां हैं ??

कहावत है कि "कहने और करने में बहुत अंतर् होता है , दरअसल कई जुते घिस चुके होते हैं "
  • सभी राज्यों के साथ समन्वय ,कुछ राज्य अड़ंगा लगाने में हमेशा आगे रहते हैं , हाल ही में मध्य प्रदेश राज्य की घोषणा थी कि वहां सरकारी नौकरियां केवल गृह राज्य वालो  दी जाएंगी। 
  • प्राइवेट स्कूलों का साथ होना 
  • नीति को सफल बनाने के लिए प्रबंधन का एक्टिव होना बहुत बड़ी चुनौती होगी 
  • बजट को बढ़ाया गया है , मगर सही जगह पर सही पैसा खर्च करना भी बड़ी  चुनौती है 
  • रोजगार के ज्यादा पदों को सृजित करना 
  • परीक्षा प्रणाली को तीव्र , विश्वसनीय और प्रभावी बनाना 
समाधान :-
                             जूते घिसने पड़ेंगे। ......... !!
अर्थात जमीनी स्तर से उच्च स्तर तक सभी को समन्वित ढंग से काम करना ही पड़ेगा।

अंत में यही कि बढ़ती युवा आबादी की ज्वाला से तपे लोहे पर समय रहते यदि रोजगार का  हथोड़ा नहीं मारा गया तो  यूँ ही जम जायेगा और जंग खाएगा।  



टॉपिक :- दीपक जलाल , देहरादून 




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