Sugandh......
कुमार भाई क्या ले रहे हो 11वीं में ??-भाई समझ नहीं आ रहा है विज्ञान या कॉमर्स ,
कुछ मित्र तो कॉमर्स ले रहे हैं और कुछ विज्ञान का सोच रहे हैं ,घर वाले भी बोल रहे हैं विज्ञान ले लो मार्क्स भी अच्छे हैं तुम्हारे और भविष्य भी अच्छा है इस फील्ड में....!!
अभी तक ऐसा ही होता आ रहा था ,अपनी सोचने की शक्ति थी नहीं और फ्यूचर डिसाइड होता था दोस्तों और परिवार वालों की फ्यूचरिस्टिक थिंकिंग से। बच्चा ऐसे विषयों के चंगुल में फंस जाता जहां से निकलना मुश्किल था , अब 1995 में लिखी पुस्तकों का प्रत्येक वर्ष रिप्रिंट मटेरियल पढेंगे तो 21वीं सदी में कहां तक जा पाएंगे ??
आजकल भारत की फिजा में सुगन्ध फैली हुई है सुना है कि नई शिक्षा नीति बनी है .......वो भी 34 साल बाद .........!! अब इसके प्रावधानों को यहां बताना तो उचित नहीं होगा , भाई छ: दिन हो गए हैं और जमाना है इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का !!
दरअसल हमारी शिक्षा प्रणाली अभी तक वही रटंत विद्या तक सीमित रही थी , नई नीति के कारण कुछ अच्छा हो इसकी काफी उम्मीदें हैं। अब बच्चा आइंस्टीन के साथ महादेवी वर्मा और एडम स्मिथ के साथ एलॉन मस्क की एडवांस थिंकिंग भी पढ़ सकता है।
यहां शिक्षा पर 6% जीडीपी खर्च करने की बात कही गयी है अब ये तो वक्त ही बताएगा , क्यों कि जहां अब तक कॉपी एंड पेस्ट फॉर्मूला पर पीएचडी हो जाती हो वहां भला कोई सरकार पैसा खर्च करना क्यों पसंद करे ??
प्रॉब्लम कहाँ है ?? पहला , ये एक बड़ी चुनौती है ,सिस्टम में से खामियां निकालना और सही क्रियान्वयन करना, क्यों कि हमारे यहां नौकरशाही तंत्र बड़ा प्रबल है ये फोकट की कमाई के आदि भी हो गए हैं फिर उसके लिए चाहे आने वाली पीढ़ी का भविष्य बर्बाद हो भी तो क्या ??
दूसरा , राज्यों का अपना एटीट्यूड है , चूंकि शिक्षा समवर्ती सूचि (concurrent list) का विषय है जिसमें राज्य कहाँ तक केंद्र का साथ देंगे ये भी देखने वाली बात है।
माना जा रहा है कि यह नीति 21वीं सदी की आवशयकतानुरूप बनाई गयी है जो बच्चों के समग्र विकास में सहायक होगी ,है तो ठीक। दुनिया भर में इस प्रकार विषयों के चयन और को-करीकुलर एक्टिविटी के कारण बच्चे हर क्षेत्र में परचम लहराते हैं ,और यहां जिस उम्र में बच्चा LCM सीख रहा होता है वहां बच्चे एडवांस कोडिंग और बिजनेस आईडिया के बेस सीख रहे होते हैं और साथ ही संगीत और खेल में भी कुछ अच्छा कर लेते हैं।
प्रावधानों के अनुसार यदि नीति को लागू किया जाता है तो देश का भविष्य वाकई सुधारा जा सकता है ........नहीं तो बच्चे किताबों के बीच भात की थाली रखने में ही व्यस्त रहेंगे।
👌👌👌👌 amazing
ReplyDeleteBhut hard.....
ReplyDeleteBahut khoob!!
ReplyDeleteJai ho masab.....😆
ReplyDeletegjb sir ji
ReplyDeleteFabulous article........keep it up ...
ReplyDeleteWah Wah kya bat he ।
ReplyDeleteEk esi kasmkash ko सरलता से उजागर किया है जिसे समझ पाना बहुत मुश्किल होता है।।
👌👌✍️✍️🙏🙏
Very very nice brooo
ReplyDeleteGjb
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