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Showing posts from 2021

Some steps to grow you

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हम सभी की कुछ आदतें होती हैं, कुछ अच्छी और कुछ ज्यादा अच्छी नहीं। ये ऐसे व्यवहार हैं जो हमने सीखे हैं और जो लगभग अपने आप होते हैं। हम में से अधिकांश की कुछ आदतें होती है जिन्हें हम छोड़ना  चाहते हैं, या जिन्हें किसी कारणवश विकसित करना चाहते हैं। अधिकांश लोगों के लिए, एक नए व्यवहार को नियमित, या आदत बनने में लगभग चार सप्ताह लगते हैं। निम्नलिखित कदम एक नया व्यवहार पैटर्न स्थापित करनेे में सहायक हो सकतेें हैं :-  . पहला कदम है अपना लक्ष्य निर्धारित करना :-  विशेष रूप से जब आप किसी आदत को रोकने या तोड़ने की कोशिश कर रहे हों, तो आपको अपने लक्ष्य को सकारात्मक कथन के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। उदाहरण के लिए, "मैं रात में नाश्ता करना छोड़ दूंगा" कहने के बजाय, "मैं स्वस्थ खाने की आदतों का अभ्यास करूंगा" कहें। आपको अपना लक्ष्य भी लिखना चाहिए। इसे कागज पर कमिट करने से आपको कमिट करने में मदद मिलती है। चाहें तो  आप किसी ऐसे व्यक्ति को अपना लक्ष्य बता सकते  हैं जिस पर आप भरोसा करते हैं तो यह भी मदद कर सकता है।    एक प्रतिस्थापन व्यवहार पर निर्णय लें :-  (यदि आ

HoPe2

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  कोविड का दूसरा काल भी धीरे -धीरे समाप्त हो चला है , यदि आप जीवित हैं तो आप स्वयं को एक सर्वाइवर मान सकते हैं , जो विपरीत परीस्थितियों में भी स्वयं को जीवित रख पाया है।  ज्यादा ख़ुशी मनाने या इस दौरान विकसित की गयी आदतों को भूल जाने की जरूरत नहीं है .......वक्त की मांग और भविष्य में अपने अस्तित्व को बनाएं रखने के लिए अब जरूरी हो गया है कि हम माहौल के अनुकूल ढलें।  हर आपदा के दौरान और कुछ समय बाद तक , जनता अलर्ट रहती है , राजनीतिक जुमलेबाज़ी ,कुछ नई घोषणाओं -वादों  और नए नियमों का दौर चलता है ....... और फिर से वही ........  दिक्कत क्या है ?? हम जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं , स्थायित्व की कमी है ,सरकारें तुष्टिकरण का रास्ता अपनाती हैं और हम किसी नई सड़क के लिए सोशल मीडिया पर लाइक्स ठोक रहे होते हैं।  अधिकांश जनता स्वयं में  ही गुमराह है , वे अस्थायी हल से ही सुख प्राप्त करने को आतुर हैं , यह बिलकुल वैसा ही है आज का डाटा भरपूर यूज़ कर लेतें हैं , कल तो पुनः  मिलेगा ही।  मध्यस्थता जैसा कोई कदम नहीं ..... सड़क बनानी है तो सीधा पेड़ पर आरी चलवाई जाएगी ,अन्य रास्ते नहीं खोजे जायेंगे।  लालच की क

HoPe

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  फाइनली वैक्सीन लग गयी ........ अब लगता है अच्छे से चढ़ी है।  दूसरी लहर वाकई जोरदार रही , पक्ष-विपक्ष , राजा-प्रजा सभी त्राहिमाम रहे। पहली का ठीकरा तो पडोसी पर जमकर फोड़ा गया ........ये यक्ष प्रश्न की भाँति सामने खड़ा है कि इस बार किसको लपेटें ........??   वाकई कारण बहुत से हैं और सभी दमदार हैं , यहां कुछ लोगों ने जमकर सारी सीमाएं लाँघी , इंजेक्शन हो , ऑक्सीजन हो या आपात वाहन , लालच और भ्रष्टाचार की सीमा से परे जाकर "कुविधाएँ " दी गयी।  यहां विचार आया कि क्या ऐसे माहौल पर लगाम लगाने के लिए राजतंत्र होना चाहिए ........?? दरअसल आज जब मैं प्रख्यात दार्शनिक मैक्यावली को पढ़ रहा था , तो उन्होंने अपने विचारों में "भ्रष्ट , लालची लोगों के लिए राजतंत्र की शासन प्रणाली" को उपयुक्त बताया , जहां लोगों पर "कुछ भी करने" की आज़ादी तो नहीं होती .........!!  कमियां क्या रहीं ?? मुखौटे को समझने में हम नाकाम रहे ....... दरअसल इस बार कोरोना मॉडिफाई होकर आया , आगे  भी अन्य रूपों में आने की पूरी संभावना है।  हमने थोड़ा ठीक माहौल देखकर   जश्न शुरू कर दिया ......अपने को स

atmanirbhar

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  आत्मनिर्भरता को लेकर देश में चर्चाएँ जोरों पर हैं ,आज हर कोई आत्मनिर्भरता से संबन्धित बहसों में जोर-शोर से भाग ले रहा है।  एकल व्यक्ति के लिए आत्मनिर्भरता की अवधारणा थोड़ी अलग हो सकती है जो उसे अन्य समाज से अलग रखने की अपील के रूप में  भी हो सकती है , मगर एक देश के परिप्रेक्ष्य  में यह अब भी बहुत व्यापक कांसेप्ट ही है। मेरे मन में विचार इस बात से आया कि दुनिया के बहुत से देश जो आर्थिक गतिविधियों  और विकास  के मामले में आत्मनिर्भर हैं , उनमे से बहुत तो भारतीय राज्यों से भी छोटे हैं  .......  तो आखिर ऐसा कैसे ?? उत्तर ढूढ़ने की कोशिश में कुछ अच्छे और सरल विचार आये , जिन्हें यदि अपना लिया जाये तो बहुत हद तक आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है.........  भारत के पास महान विरासत के रूप में योग , औषधि और आयुर्वेद का भण्डार है ..... दुनिया इसके बारे में अभी बहुत कम जानती है .... इसको वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की जरूरत है।  हमारे लोग स्थानीय उत्पादों को केवल स्थानीय बाज़ारों तक ही सीमित रखते हैं ,(मुंबई और अहमदाबाद के लोगो ने शायद ही उत्तराखंडी कांफल और खुमानी का स्वाद चखा होगा , वहीं लिट

Tectonic

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  कुछ दिनों पहले उत्तराखंड में एवलांच की भीषण घटना घटी , दरअसल उस दिन रविवार था और मैं हर बार की तरह ब्लॉग पर ही काम कर रहा था।   मैं उत्तराखंड के बारे में कम ही लिखता हूँ  न जाने क्यों ?? मगर आज इस घटना पर लिखने जा रहा हूँ ...... जो वाकई चर्चा का विषय है।  एक औसत  हिम शिला खंड का टूटकर गिरना और निचले भाग में भीषण तबाही , अनेकों लोगों की मौत और लगभग 160 लोग लापता ..... ये पूरी घटना चंद घंटो में ही हो गयी ......हालांकि यह घटना 2013 की तुलना में बहुत छोटी थी, मगर इसने आपदा के पूर्वानुमान , सूचना तंत्र और उससे बचने के हमारे तरीकों पर पुनः सवालिआ चिन्ह लगा दिए .........  !! आपदा के संभावित कारण क्या ??  पहला और सर्वप्रमुख कारण जो माना गया वो है वैश्विक तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वॉर्मिंग ), दरअसल औद्योगिकरण के समय से ही लगातार वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है ,जो उच्च अक्षांशो और निम्न अक्षांशों के ऊँचे भागों में लगातार बर्फ के गलने का कारण रही है ........यहां भी यही हुआ।  चट्टानों पर ताज़ा बर्फवारी से भार में वृद्धि हो गयी ......... चट्टान इस भार  को सहन नहीं कर सकी और बर्फ नीचे खिसकन

apni sarkar

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 शुक्रवार को मेरी एक मित्र का मेसेज आया ..... दरअसल वह एक स्क्रीन शॉट था , उसपर लिखा था ....... ग्रुप सी भर्ती आ गयी , सिक्योरिटी गार्ड 33 पोस्ट सचिवालय में और 541 पोस्ट अकाउंटेंट की !! ये लिखते वक़्त उस व्यक्ति ने जितनी ख़ुशी का अनुभव किया होगा ..... उसे उत्तराखंड का कोई भी छात्र जो किसी भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हो ....आसानी से महसूस कर  सकता है  .........   ये बात इसलिए बहुत मायने रखती है कि उत्तराखंड में सरकारी वैकेंसी का आना ईद के चाँद निकलने जैसा है।  दरअसल यहां  दो ही मामलों में वैकेंसी निकलती हैं :- जब मौजूदा सरकार का शासन खत्म होने वाला हो  जब मौजूदा सरकार खतरे में हो  इन दो कारणों को पढ़कर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वजह क्या है ....... वैसे हाल ही में कुछ अनुभव सरकार भी ले ही चुकी है।  अब वैकेंसी तो आ गयी !!......... तैयारी करने वाले के चेहरे पर थोड़ी मुस्कराहट के साथ कुछ शंका के भाव भी होते हैं .......अब छात्र पहले नोटिफिकेशन पढ़ता है और पदों की संख्या और एग्जाम फीस देख के डिसाइड करता है कि तैयारी किस लेवल की करनी चाहिए   ?? अब बारी होती है चाचा के ,मामा के , बुआ के 

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  आज मेरी चार अलग- अलग लोगों से बात हुई , हालांकि वे मेरे परिचित थे और सभी ने हमारी बातों के दौरान एक बात  पूछी ....... आजकल आप ब्लॉग नहीं लिख रहे हो क्या ?? सच बताऊँ तो मैं कोई अच्छा जवाब नहीं दे पाया .........  अब आप सोच रहे होंगे कि ये बात भी कोई बताने वाली थी क्या ?? दरअसल जब हम किसी लिंक से टूटते हैं तो उसे दोबारा जोड़ने के लिए पहले से भी ज्यादा ऊर्जा के साथ शुरुआत करनी होती है .........  कुछ आदतें छूटनी शुरू हुई थी कि अचानक आज ये लोग मिले जिन्होंने फिर से प्रेरित किया।  तो ये तो था कहानी का स्टार्टिंग फेज़  मतलब सीधा सा है अगर कुछ अच्छी आदतें विकसित हुई हैं तो उन्हें बनाए रखा जाना चाहिए , भले ही वे अभी महत्वपूर्ण न लग रहीं हो ..... भविष्य के लिए वे संपत्ति हैं।  चलिए अब बात करतें हैं .........  अभी हाल ही में देश - दुनिया में  कुछ अजीब सी घटनाएं घटी और आप सभी उनसे परिचित होंगे , आईये कुछ शेयर करते हैं :-  हाल में ऑक्सफैम  की रिपोर्ट प्रकाशित हुई , जिसमें बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान अरबपतियों की संपत्ति में 35% का इजाफा हुआ जबकि 84% लोगों की आय में कमी आयी, और दूसरा ; मैंने