dramatic plastic
आजकल किसान बिल तथा उससे जुड़ी ख़बरों की चर्चा देश में जोरों पर है , आखिर इसका समाधान कब तक होगा और आंदोलित किसान कब तक अपनी माँगो पर डटे रहेंगे , यह कह पाना वाकई कठिन है। जब तक आपने इन लाइनों को पढ़ा होगा तब तक दुनिया भर के सबसे बुद्धिमान और विवेकशील प्राणी के रूप में'पहचाने जाने वाले हम मनुष्यों ने टनों के हिसाब से प्लास्टिक कचरा पर्यावरण को विसर्जित कर दिया होगा। राजनीति से इतर , आज यदि कोई मुद्दा सबसे ज्वलनशील (बर्निंग इशू ) है तो वह है - पर्यावरण और उसमें हो रहा बदलाव , जो निरन्तर नई चुनौतियां सामने ला रहा है। पर्यावरण प्रदुषण से जुड़ा ही है - "प्लास्टिक" , आज प्लास्टिक पर बात करते हैं - ज्यादा साइंटिफिक और आकड़ों से भरी बात कहना उचित नहीं होगा किन्तु सचेत रहना वाकई जरुरी है। प्लास्टिक एक ऐसा बहुलकीय (पॉलिमर ) पदार्थ है जो एक बार अस्तित्व में आने के बाद कई सौ वर्षों के लम्बे जीवनकाल को व्यतित करता है और पर्यावरण के साथ-साथ मानवीय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करता है। हमारे द्वारा उपभोग(कन्ज्यूम ) की जाने वाली 95-98% वस्तुओं में प्लास्टिक